Tuesday, 2 July 2024

अरविंद सवैया

 अरविंद सवैया


हनुमान लला गुण ज्ञान कला भरदे अड़हा मन भीतर मोर।

नित हाथ म तोर रहे प्रभु मोर लगाम सहीं जिनगी रथ डोर।

सुख शांति मया सत मीत दया बरसात रबे जिनगी भर घोर।

दुख  पाप  छँटे मनखे न बँटे इरसा न डँटे कखरो घर खोर।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को कोरबा(छग)

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