कुंडलियाँ छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
रक्तदान
कतरा कतरा कीमती, हवै खून के यार।
दुख मा हे ऊंखर उपर, कर देवौ उपकार।
कर देवौ उपकार, जीत जिनगी वो जाही।
तुम्हर लहू के बूंद, काम ऊंखर बर आही।
बन जाथे झट खून, देय मा नइहे खतरा।
देथे जीवन दान, खून के कतरा कतरा।
कतको जिनगी खून बिन,तड़प तड़प मर जाय।
कतको के तन के लहू, बिरथा तक बोहाय।
बिरथा तक बोहाय, बने तभ्भो नइ दानी।
कतको जोड़ै हाथ, बचालव कहि जिनगानी।
देख नयन दव मूँद, बनव ना निरदइ अतको।
करव लहू के दान, सँवरही जिनगी कतको ।
सुविधा हे ब्लड बैंक के,कई जघा मा आज।
जेन जरूरत मंद के, रखे समय मा लाज।
रखे समय मा लाज, होय नइ ब्लड के तंगी।
जाके सबे जरूर, उँहा ब्लड देवव संगी।
भरे रही ब्लड बैंक, सहज टर जाही दुविधा।
करव लहू के दान, सबे बर होही सुविधा।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
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