डॉक्टर डे पर---
डॉक्टर झोला छाप(दोहा गीत)
देख घूम के गांव मा,पोटा जाही कॉप।
थेभा हमर गरीब के,डॉक्टर झोला छाप।।
कहिके अँगठा छाप तैं,जेला दिये भगाय।
ओखर कोनो अउ नहीं,उही सहारा आय।
रहिके हमरे साथ मा,करथे हमर इलाज।
सहै उधारी ला घलो,होय सहुलियत काज।
कलपे रात बिकाल के,घर मा माई बाप।
थेभा हमर गरीब के,डॉक्टर झोला छाप।
जाने दवई देय बर,सूजी पानी आय।
ठीक करै बोखार ला,ओहर डॉक्टर ताय।
सर्दी जर बोखार मा,सहर जाय गा कोन।
बड़ मँहगा हाबय जहाँ,फीसे हा सिरतोन।
सोजबाय बतियाय नइ, बोले आने बोल।
तेहर पीरा ला हमर,कइसे लिही टटोल।
देखब हमला लोटथे,ओखर तन मा साँप।
थेभा हमर गरीब के,डॉक्टर झोला छाप।
झन कोनो ला लूट तैं,हरस तँहू भगवान।
राख मान पद के अपन,गाही सबझन गान।
चलथे टोना टोटका, बइगा हे बर छाँव।
जाही झोला छाप हा,डॉक्टर भेजव गाँव।
फँसे शहर के मोह मा,डॉक्टर नइ तो आय।
सुविधा सब खोजत फिरै,गाँव आज लुलवाय।
कौड़ी कौड़ी कीमती, लूटे लगही पाप।
थेभा हमर गरीब के,डॉक्टर झोला छाप।
जीतेंद्र वर्मा "खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
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