विश्व पुस्तक दिवस के आप ला सादर बधाई
पुस्तक के दुनिया
न जादू न मंतर
न झन धर बैगा-गुनिया ।
सबो धरा जाही,
झाँक ले पुस्तक के दुनिया।।
पुस्तक के पन्ना ले छूटे नइहे कहीं।
पुस्तक म भला, का चीज नही ||
करले घर बइठे,सारी जग के सैर सपाटा।
का चीन, का जापान अउ का दिल्ली-टाटा।।
पुस्तक पढ़के ज्ञानी बनगे,
चुनिया अउ मुनिया।।
सबो धरा जाही,
झांक ले पुस्तक के दुनिया।।
चाहे वेद पुराण होय,
या रामायण भगवत गीता।
ज्ञान ले लबालब रहिथे,
नइ राहय रीता।।
सपना के संसार ला, इही सजाथे।
जे एला पढ़थे, ओखरे मन मा समाथे।।
मुड़ धर बइठे हवस,
काहत हँव तेला सुन या।
सबो धरा जाही,
झांक ले पुस्तक के दुनिया।।
इही बनाथे इंजीयर डॉक्टर,
साहब सिपइहा अफसर।
तँहुला आघू बढ़ना हे,
ता चल जल्दी पुस्तक धर।।
जियत मरत काम आथे।
एखर ज्ञान यमपुर जाथे।।
माल खजाना ले बढ़के,
मिलथे भारी पुण्य।
सबो धरा जाही,
झांक ले पुस्तक के दुनिया।।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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