Monday, 15 July 2024

कतको हे

 


::::::::कतको हे::::::::


भाई भाई ल,लड़इय्या  कतको हे।

मीत मया ल, खँड़इय्या कतको हे।


लिगरी  लगाये  बिन  पेट  नइ  भरे,

रद्दा म खँचका करइय्या कतको हे।


हाथ ले छुटे नही,चार आना  घलो,

फोकट के धन,धरइय्या कतको हे।


रोपे  बर  रूख,रोज रोजना धर लेथे,

बाढ़े पेड़ पात ल,चरइय्या कतको हे।


जात - पात  भेस म,छुटगे देश,

स्वारथ बर मरइय्या कतको हे।


दूध दुहइय्या कोई,दिखे घलो नहीं,

फेर  दुहना ल,भरइय्या कतको हे।


पलइया पोंसइया सिरिफ दाई ददा,

मरे  म,खन के,गड़इय्या कतको हे।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)

No comments:

Post a Comment