Tuesday, 2 July 2024

दाई दिखथे........ -------------------------

 ...........दाई दिखथे........

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दाई दिखथे,

ढेंकी के ठक-ठक में।

चुरोना के फट-फट में।

छेना के थप-थप में।

करछुल के खट-खट में।


दाई दिखथे,

अइरसा के पाग में।

भुंजे-बघारे साग में।

लोरी  के   राग   में।

अँचरा के ताग ताग में।


दाई दिखथे,

गघरी-गुंडी के पानी में।

गुँगवात खपरा छानी में।

बरनी के आमा चानी में।

लइका के तोतवा बानी में।


दाई दिखथे

माई कोठी के औना में।

दसमत तुलसी दौना में।

लिपनी छीटा छर्रा में।

झेंझरी चन्नी पर्रा में।


दाई दिखथे,

चाँड़ी-टिपली डुवा में।

घाट-घठौदा कुवा में।

गौरा भड़ोनी सुवा में।

दया मया अउ दुवा में।


दाई दिखथे

खनखन खनकत चूड़ी में।

बरा भजिया पूड़ी में।

माहुर मेंहदी टिकली में।

गोड़ा मइरका सुपली में।


दाई दिखथे,

तुलसी चँवरा के दीया में।

दुख-पीरा भरे जिया में।

भोजली गंगाजल गियाँ में।

लक्ष्मी सरसती सती सिया में।


दाई दिखथे

सुखाय छानी के बरी में।

चद्दर कथरी के घरी में।

जेवन बर जठे दरी में।

आलू भाँटा के तरी में।


दाई दिखथे

घमघम ले घउदे धान में।

केरा कोचई पान में।

खोइला मिर्चा बुकनी में।

सूपा चरिहा टुकनी में।


दाई दिखथे

दुख के घेरा में।

भूख के बेरा में।

छीता बिही केरा में।

सुख सुम्मत के डेरा में।


दाई दिखथे,

लीपे-पोते घर-दुवार में।

खेत बारी घर कोठार में।

साग-भाजी नार-बियार में।

बेटा-बेटी के संस्कार में।।


       जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

           बाल्को(कोरबा)

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