Tuesday, 2 July 2024

लावणी छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया" मैं छत्तीसगढ़ी बानी औं

 विश्व महतारी भाषा दिवस, के पावन अवसर म


लावणी छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


 मैं छत्तीसगढ़ी बानी औं


मैं छत्तीसगढ़ी बानी औं, गुरतुर गोरस पानी औं।

पीके नरी जुड़ालौ सबझन,सबके मिही निसानी औं।


महानदी के मैं लहरा औं,गंगरेल के दहरा औं।

मैं बन झाड़ी ऊँच डोंगरी,ठिहा ठौर के पहरा औं।

दया मया सुख शांति खुसी बर,हरियर धरती धानी औं।

मैं छत्तीसगढ़ी बानी औं, गुरतुर गोरस पानी औं-----।


बनके सुवा ददरिया कर्मा,मांदर के सँग मा नाचौं।

नाचा गम्मत पंथी मा बस,द्वेष दरद दुख ला बॉचौं।

बरा सुहाँरी फरा अँगाकर,बिही कलिंदर चानी औं।

मैं छत्तीसगढ़ी बानी औं, गुरतुर गोरस पानी औं-।


मैं गेंड़ी के रुचरुच आवौं, लोरी सेवा जस गाना।

झाँझ मँजीरा माँदर बँसुरी,छेड़े नित मोर तराना।

रास रमायण रामधुनी मैं, मैं अक्ती अगवानी औं।

मैं छत्तीसगढ़ी बानी औं, गुरतुर गोरस पानी औं-।


ग्रंथ दान लीला ला पढ़लौ,गोठ सियानी ला गढ़लौ।

संत गुनी कवि ज्ञानी मनके,अन्तस् मा बैना भरलौ।

मिही अमीर गरीब सबे के,महतारी अभिमानी औं।

मैं छत्तीसगढ़ी बानी औं, गुरतुर गोरस पानी औं--।


जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा

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