Monday, 8 July 2024

भाजी चरोटा के

 भाजी चरोटा के


भूख भगाय बर पोटा के

खाय हन भाजी चरोटा के ||


उसन परिया निथार,

अम्मट नहीं ते दार डार, 

रांधे दाई चून के।। 

लहसुन, मिरचा के फोरन म,

तेल - नून संग भूंज के ।। 

ममहाय घर खोर हाँड़ी, 

चरोटा के राहय बड़ पुछारी ।।

फेर आजकल तो दिखे नहीं, 

अउ दिखथे त बइरी हे टोंटा के । 

भूख भगाय बर पोटा के ।

खाय हन भाजी चरोटा के ।।


बदलत जमाना संग,

चरोटा तिरयागे ।

अपने - अपन उपजइया,

कतकोन भाजी सिरागे ||

नइ बताबे ता,

कोनो जानही घलो नही ।

अउ बताबे ता,

खाय् कहिके मानही घलो नहीं ।।

पहिली भाजी ल माने,

गरीबहा कोटा के |

भूख भगाय बर पोटा के ।

खाय हन भाजी चरोटा के ।।


लड़ नइ सकिस चरोटा ह

गुमी, मुस्कैनी, अमारी, चेंच, बोहार कस । 

तेखरे सती ओखर किस्मत,

नइ पहुँचिस बाजार तक । 

ठाढ़े महँगाई के आँच म

तिजोरी झोर कस अँउटत हे । 

आलू,गोभी,मटर बहुत होगे,

मनखे फेर भाजी डहर लहुटत हे । 

रांध के भाजी, 

झडकत हें सब तीन परोसा के ।

भूख भगाय बर पोटा के । 

खाय हन भाजी चरोटा के ||


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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