जाम बिही तक खाय बर, सोचें पड़थे आज।
जर बुखार जुड़ हो जथे, बोलत आथे लाज।
खैरझिटिया
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पाके पाके बिही
पाके पाके बिही।
सोचत होहू दिही।
गय फोकट के जमाना,
कोनो पैसा मा लिही??
पाके पाके बिही-----1
चाँट चउमिन खाहू।
त चाँट के जाहू।।
फल फुलवारी खाही,
तिही हा जिही।।
पाके पाके बिही------2
पइधथे बेंदरा।
ता पर जथे चेंद्रा।
मनखे पइधही,
ता कोन बने किही?
पाके पाके बिही------3
लटलट ले फरे देख।
पारा परोसी जरे देख।।
दर्जन भर एके घांव,
झडक देथों मिही।
पाके पाके बिही--------4
कतको नइ खा सके।
कतको नइ पा सके।।
नवा जुग लील दिस,
बखरी बगीचा डिही।
पाके पाके बिही--------5
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
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