मिले मया आशीष नित, चलँव सबे ला जोर।।
एक बछर अउ बाढ़गे, उमर देखते मोर।।।।।
$$$$$$$$$ जिनगी $$$$$$$$$
नइ जानबे ता लगथे का ए जिनगी।
असल मा गुरु सखा दाई ददा ए जिनगी।।
आज हा तो बनाथे काली बर रद्दा।
नता ठिहा ठउर अउ पता ए जिनगी।।
नजर हे सब ऊपर ऊपर वाला के।
बरोबर तउलथे तराजू के पल्ला ए जिनगी।।
इँहिचे के करनी ला इँहिचेच भोगना हे।
धरम करम के कड़ा लेखा ए जिनगी।।
धन रतन नता रिस्ता दूत ए माया के।
पार निकल पेशी ए परीक्षा ए जिनगी।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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