Monday, 8 July 2024

बरसा

 बरसा 


मोरो मन नाचिस मंजुरी कस|

चुचवइस जब बादर ले   रस |

देख पानी टपकई,फोटका परई,

झमाझम बिजुरी,अउ गरजई घुमरई।

पानी अऊ पूर्वा के मितानी,

डबरा अऊ घुरवा के मितानी,

कोठ म बोहाय रेला अऊ

टिपटिप चूंहे छॉनी||

सुन मैना के गुत्तुर बानी अऊ

बोली कँउवा के करकस.....|

मोरो मन नाचिस...............

..............................रस||


मन ह उड़ात हे बदरा संग,

सॉप डेड़हू निकलगेहे अदरा संग|

भंदई म चिखला जमके चिपके हे,

उमड़-घुमड़ बदरा रही रही के टिपके हे|

लइकामन झड़ी म 

कूदकूद के भींगत हे|

नेवन्निन बहु 

कुरिया म नींगत हे|

मिठात हे बबा ल,

कुनकुन सनहन पेज लसलस...|

मोरो मन .......................रस|


मुंदरहा ले ओहो तोतो अऊ

बाजे खनन खनन घंटी|

सब कीरा मकोरा ल रौंदत हे

चाहे पिहरे राहय कंठी|

बेंगुवा अऊ झिंगरा 

उत्ता-धुर्रा गॉवत हे|

हॉट-बाजार नही

खेतखार मन भावत हे|

बॉवत रे बियासी रे

भॉजी रे पाला रे|

रोहों पोंहों परे हे

सिधोव काला काला रे|

माई पिला निकले हे

कोनो बुता नइ बॉचे|

भुंइया हरियाय हे

 डारापाना नाचे |

तहूं गा सुवा - ददारिया

यदि मॉटी पूत अस......|

मोरो मन ..............रस|

                                जीतेन्द्र वर्मा

                  खैरझिटी(रॉजनॉदगॉव

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