महतारी दिवस म दाई के अन्तस्, लइका ल इही काहत हे,,,,
.....कब आबे बेटा गाँव........
चुंदी-मुड़ी पकगे बेटा,
थक्कगे हमरो जाँगर |
कलम चलायेल सीखेस रे बाबू,
टँगाय हे अब टूट के नाँगर |
एक बेर धरेस शहर के रस्ता |
ताहन लगगे तोला उँहा के चस्का |
सब झन पूछथे,,,,,
बड़ चलथे तोर नाँव....|
कब आबे बेटा गाँव....|2
सँकलाय हे खोलखा म,
तोर पुस्तक कापी |
टँगाय हे अरगेसनी म,
तोर कुरता साफी |
भराय हे खेलौना ले,
घर के गोड़ा |
तोर ढ़केल गाड़ी,
कुकुर बिलई अउ घोड़ा |
ढुलत हे तोर लोहाटी बॉटी
कुरिया अउ डेरउठी म।
कुकुर कोलिहा ल धुतकारत रथों,
तोर गिल्ली डंडा वाले लउठी म |
रोटी के लालच म,
रोज मुहाटी म आके,
करिया कऊवा करथे काँव ........|
कब आबे बेटा गाँव................|2
न पानी पीये,न पेरा भूँसा खाय |
बुढ़ागे हवे तोला देखत-देखत,
तोर दुलौरिन गाय |
तोर पोंसवा कुकुर खोरात-खोरात,
जोहत रइथे बाट |
छेरी,बोकरा,बइला,भँइस्सा,
नइ हे पघुरात |
आजा रे छेदउला बेटा ,
कतरो उतबिरित कर,
अब नइ खिसियाँव..........|
कब आबे बेटा गाँव..........|2
कभू होरी म आवस,
त कभू देवारी म |
छप्पन भोग मढ़ाके रखथों,
तोर कॉच के थारी म |
संगी संगवारी आके पुछथे तोला |
देखे बर तरसत रिथे मोर चोला |
तोला आही कहिके साल म,
दू बेर देवारी,अऊ दू बेर होरी मनाँव....|
कब आबे बेटा गाँव.......................|2
तोर कुरिया नानकुन होगे,
तोर खटिया म अब घुन होगे |
छाती फूलगे तोर गुण ले बेटा,
फेर करेजा ह मोर सुन्न होगे |
दरस देखाबे आँखी के राहत ले,
अउ पार लगाबे जब सकलाँव.....|
कब आबे बेटा गाव.................|2
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
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