Tuesday, 2 July 2024

गीत-अमरइया मा जाबों(सार छन्द)

 गीत-अमरइया मा जाबों(सार छन्द)


चलव गड़ी खेले बर खुडुवा,अमरइया मा जाबों।

दाई अँचरा कस जुड़ छइहाँ, ओढ़ ओढ़ इतराबों।


पवन धूकथे पंखा रहि रहि, सुरुज देव बिजराथे।

छमछम नाचय पाना डारा, गीत कोयली गाथे।

ढेला फेक गिराबों आमा, मिलजुल के सब खाबों।

चलव गड़ी खेले बर खुडुवा,अमरइया मा जाबों।


गरमी घरी तको जुड़ रहिथे, अमरइया के छइहाँ।

जिहाँ पहुँच सब खेल खेलबों, जोर सबे झन बइहाँ।

आमा खाल्हे बाँध झूलना, झुलबों अउ झूलाबों।

चलव गड़ी खेले बर खुडुवा,अमरइया मा जाबों।


बइहाँ जोड़े पेड़ खड़े हे, झेल घाम जुड़ पानी।

हवा दवा फल फूल लुटाथे, सबदिन बनके दानी।

ठिहा ठौर हे जीव जंतु के, देख देख हरसाबों।

चलव गड़ी खेले बर खुडुवा,अमरइया मा जाबों।


गली खोर घर खेत खार सँग, साथी ताल तलैया।

गिल्ली डंडा बाँटी भँवरा, के हम सब खेलैया।।

चंदन जइसे धुर्रा माटी, माथा तिलक लगाबों।

चलव गड़ी खेले बर खुडुवा,अमरइया मा जाबों।


जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

No comments:

Post a Comment