Tuesday, 2 July 2024

कुंडलियाँ छंद

 कुंडलियाँ छंद


डालर कॉलर ला हमर, धरे हवै दिनरात।

बेर बछर देखे बिना, दै रुपिया ला मात।।

दै रुपिया ला मात, बढ़े तब तब महँगाई।

छोट मँझोलन रोय, मचे अड़बड़ करलाई।

ऊगत नइहे बाल, उतारे हाँवन झालर।

रुपिया होय धड़ाम, दिनों दिन बाढ़ै डालर।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)


(ऊगत नइहे बाल, उतारे हाँवन झालर।)- तुतारी आय।

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