अक्ती तिहार के आप ला सादर बधाई
हरिगीतिका छंद-अक्ती
मिलजुल मनाबों चल चली अक्ती अँजोरी पाख में।
करसा सजा दीया जला तिथि तीज के बैसाख में।।
खेती किसानी के नवा बच्छर हरे अक्ती परब।
छाहुर बँधाये बर चले मिल गाँव भर तज के गरब।।
ठाकुरदिया में सब जुरे दोना म धरके धान ला।
सब देंवता धामी मना बइगा बढ़ावय मान ला।।
खेती किसानी के उँहे बूता सबे बइगा करे।
फल देय देवी देंवता अन धन किसानी ले भरे।।
जाँगर खपाये के कसम खाये कमइयाँ मन जुरे।
खुशहाल राहय देश हा धन धान सुख सबला पुरे।।
मुहतुर किसानी के करे सब पाल खातू खेत में।
चीला चढ़ावय बीज बोवय फूल फूलय बेत में।।
ये दिन लिये अवतार हे भगवान परसू राम हा।
द्वापर खतम होइस हवै कलयुग बनिस धर धाम हा।
श्री हरि कथा काटे व्यथा सुमिरण करे ले सब मिले।
धन धान बाढ़े दान में दुख में घलो मन नइ हिले।
सब काज बर घर राज बर ये दिन रथे मंगल घड़ी।
बाजा बजे भाँवर परे ये दिन झरे सुख के झड़ी।।
जाये महीना चैत आये झाँझ झोला के समय।
मउहा झरे अमली झरे आमा चखे बर मन लमय।
करसी घरोघर लाँय सब ठंडा रही पानी कही।
जुड़ चीज मन ला भाय बड़ शरबत मही मट्ठा दही।
ककड़ी कलिंदर काट के खाये म आये बड़ मजा।
जुड़ नीम बर के छाँव भाये घाम हे सब बर सजा।
लइकन जुरे पुतरा धरे पुतरी बिहाये बर चले।
नाँचे गजब हाँसे गजब मन में मया ममता पले।
अक्ती जगावै प्रीत ला सब गाँव गलियन घर शहर।
पर प्रीत बाँटे छोड़के उगलत हवै मनखे जहर।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
9981441795
अक्ती तिहार के बहुत बहुत बधाई
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अक्ती तिहार(दोहा चौपाई)
उल्लाला-
*बेरा मा बइसाख के,तीज अँजोरी पाख के।*
*सबे तीर मड़वा गड़े,अक्ती भाँवर बड़ पड़े।*
हरियर मड़वा तोरन तारा,सजे आम डूमर के डारा।
लइका लोग सियान जुरें हे,लीप पोत के चौक पुरें हे।
पुतरी पुतरा के बिहाव बर,सकलाये हें सबे गाँव भर।
बाजे बाजा आय बराती,मगन फिरय सब सगा घराती
खीर बरा लाड़ू सोंहारी,खाये जुरमिल ओरी पारी।
अक्ती के दिन पावन बेरा,पुतरी पुतरा लेवव फेरा।
सइमो सइमो करे गली घर,सबे मगन हें मया पिरित धर।
अचहर पचहर परे टिकावन,अक्ती बड़ लागे मनभावन।
दोहा-
*परसु राम भगवान के,गूँजय जय जय कार।*
*ये दिन भगवन अवतरे,छाये खुसी अपार।।*
शुभ कारज के मुहतुर होवय,ये दिन खेती बाड़ी बोवय।
बाढ़य धन बल यस जस भारी,आस नवा बाँधे नर नारी।
माँगै पानी बादर बढ़िया,जुरमिल के सब छत्तीसगढ़िया।
दोना दोना धान चढ़ावय,दाइ शीतला ला गोहरावय।
सोना चाँदी कोनो लेवय,दान दक्षिणा कोनो देवय।
पुतरी पुतरा के बिहाव सँग,पिंवरावै कतको झन के अँग।
दोहा-
*देवी देवन ला मना,शुरू करे सब काज।*
*पानी बादर के परख,करे किसनहा आज।*
*करसी मा पानी मढ़ा,बारह चना डुबाय।*
*भींगय जतकेकन चना,ततके पानी आय।*
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
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