खेती--कुंडलियाँ छन्द
खेती ले जिनगी हवै, खेती जग के नाज।
रइही राज किसान के, काली हो या आज।।
काली हो या आज, पेट ला दाना चाही।
का बड़का उद्योग, दार चाँउर उपजाही।।
बजट बिगड़ तक जाय, प्याज आलू के सेती।
बो मिरचा पाताल, छोड़ झन कभ्भू खेती।।
खैरझिटिया
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